जिले में ही निस्तारित होंगी सीनियर सिटीजन की समस्याएं हाईकोर्ट ने दी बड़ी सौगात


नैनीताल हाईकोर्ट ने राज्य में सीनियर सिटीजन को बड़ी सौगात दी है। अब उनको अपनी शिकायतों के लिये न्यायालयों के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे बल्कि सूबे में बुजुर्गों की शिकायत हर जिलों में तैनात मेंटेनेंस अधिकारी सुनेंगे और एक महिने के भीतर उनकी शिकायतों का निस्तारण करेंगे। अगर शिकायत का कोई निस्तारण नहीं होगा तो डीएम स्तर के अपीलीय अधिकारी के पास सीनियर सिटिजन अपनी फरियाद रख सकेंगे। दरअसल केन्द्र सरकार ने साल 2007 सीनियर सिटीजन मेंटेनेंस वेयफेयर एक्ट का गठन किया था । जिसमें कहा गया था कि सभी राज्य सरकारें आदेश के छह महिने बाद अपने राज्य में इस एक्ट को नियम बनाकर लागू करेंगेइस एक्ट में एक एसडीएम रैंक के अधिकारी को मेंटेनेंस अधिकारी की नियुक्ति होनी थी तो प्रचार प्रसार का भी प्रावधान रखा गया है मगर राज्य सरकार ने इसके लिये नियमावली तैयार नहीं की। इसके अधिकारों के लिये हरिदार के कैलाश शर्मा ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की तो राज्य सरकार - ने कहा कि राज्य में इस एक्ट को प्रभावी कर दिया गया हैकोर्ट ने राज्य सरकार को ये भी आदेश दिया है कि सीनियर सिटीजन के अधिकारों के लिये तीन महिने में प्रचार प्रसार की भी व्यवस्था करें। मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश रंगनाथन व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में हई। मेंटीनेंस एंड वेलफेयर ऑफ पेरेंटस सिटीजन एक्ट 2007 के बार में ज्यादातर लोगों को जानकारी नही नहीं है। बुजुर्गवार इसको लेकर जागरूक होने के कारण इसकी महत्ता नहीं समझ पाते हैं। जिसके चलते आज भी ज्यादातर बुजर्ग अपनों की ज्यादतियों के शिकार हो रहे हैंइस एक्ट की धारा 23 के तहत यह नियम है कि अगर माता पिता ने सारी जायदाद बच्चों नाम करवा दी हो और बच्चे उनकी देखभा न करते हों तो तो इस कानन के अनुसार माता पिता का हक है कि वह अपनी सारी जायदाद वापस अपने नाम करवा सकते हैं। ऐसे में बच्चों का माता पिता की सेवा करनी ही होगी।